यात्री सीट बदलने को नहीं होते तैयार, उड़ते प्लेन में होता है बवाल, फ्लाइट अटेंडेंट ने बताया कैसे संभालती हैं हालात

ट्रेन या बस में सफर करें तो अक्सर ऐसा होता है कि सीटों के नंबर अलग अलग मिलते हैं. तब एक साथ बैठने के लिए परिवार के लोग दूसरे पैसेंजर्स से सीट बदल लेते हैं. ट्रेन या बस में इस काम में ज्यादा मुश्किल नहीं आती. लेकिन बात फ्लाइट की हो तो हालात इतने आसान नहीं होते. खासतौर से जब प्लेन में कोई अपनी फैमिली के साथ सफर कर रहा हो तो सीट स्वेपिंग टेंशन वाली प्रक्रिया बन जाती है. ऐसे समय में फ्लाइट पर मौजूद अटेंडेंट्स (Flight attendant) को बहुत तरकीब से काम लेना पड़ता है ताकि उड़ते प्लेन में किसी भी किस्म के बवाल या टेंशन से बचा जा सके.


द वॉल स्ट्रीट जर्नल को ऑरलेंडो की एक फ्लाइट अटेंडेंट मित्रा अमीरजादेह ने बताया कि वो किस तरह ऐसे हालातों से निपटती हैं. मित्रा अमीरजादेह ने कहा कि वैसे तो सिंगल पैसेंजर अपनी सीट स्वैपिंग करना पसंद नहीं करते हैं. लेकिन जो लोग अपनी फैमिली के साथ सफर करते हैं वो जरूर सीट बदलने की कोशिश करते हैं. ताकि पूरी उड़ान में फैमिली साथ बैठ सके. कोई पैसेंजर अगर शांति से उनकी बात मान जाता है तो कोई मुश्किल नहीं आती. लेकिन कई बार पेमेंट करके अपनी सीट प्रीबुक करने वाले पैसेंजर्स ऐसा करने से मना कर देते हैं. तब मुश्किल होती है क्योंकि पैरेंट्स अपने बच्चों के साथ ही बैठने पर जोर देते हैं.

मित्रा अमीरजादेह के मुताबिक, हालात बहुत खराब होने पर वो अलग तरीके अपनाती हैं, जिन्हें वो बता नहीं सकती. लेकिन छोटे मोटे मामलों में हल्के फुल्के हल से काम चल जाता है. मसलन अगर बच्चों वाला पैसेंजर पैरेंट्स के साथ सीट बदलने को तैयार नहीं है तब उन्हें स्टोरी बुक या कलर्स देने होते हैं. ताकि बच्चों का मन लगा रहे और बीच बीच में उन्हें देखना भी पड़ता है. कई बार वो खुद पैसेंजर्स से  रिक्वेस्ट भी करती हैं. लेकिन ऐसी नौबत आने पर अगर पैसेंजर्स बहस करते रहे हैं और किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं तो, उन्हें रिक्वेस्ट करना होता है.

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