सीमा पर संघर्ष: पाकिस्तान-अफगानिस्तान की नई जंग – कारण, घटनाक्रम व नुक़सान

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल के संघर्ष ने दक्षिण एशिया की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मचा दी है। यह द्विपक्षीय तनाव सिर्फ वर्तमान घटनाक्रम पर आधारित नहीं है, बल्कि दशकों से चले आ रहे विवादों, सीमाओं, आतंकवाद व राजनीतिक भरोसे की कमी से उपजा है।

युद्ध क्यों शुरू हुआ?

  1. आतंकवादी गुटों का आश्रय
    पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान-शासन वाले क्षेत्रों में आतंकवादी समूहों को पनाह मिल रही है, जो पाकिस्तान में हमले करते हैं। अफगानिस्तान शांति और ज़िम्मेदारी का हवाला देते हुए इन आरोपों को खारिज करता है।
  2. हवाई हमले और जवाबी कार्रवाई
    पाकिस्तान द्वारा किए गए हवाई हमले अफगानिस्तान की ज़मीन पर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हैं। इसके जवाब में अफगानिस्तान ने सीमा पार पोस्टों पर गोलाबारी और सैनिक हमले किए।
  3. सरहद पार विवाद (दुर्नद लाइन) और सियासी मतभेद
    दुर्नद लाइन को लेकर दोनों देशों में लंबे समय से विवाद है। पाकिस्तान इसे मान्यता देता है, जबकि अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में इसे अभी भी विवादित माना जाता है। यह असहमति सीमावर्ती तनाव को और बढ़ाती है।

महत्वपूर्ण घटनाएँ

  • अक्टूबर 2025 में सीमा चौकियों पर फ़ायरिंग और हवाई हमलों की श्रृंखला शुरू हुई।
  • पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने अफगानिस्तान की ओर से चलाए जा रहे आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।
  • अफगानिस्तान ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने पहले हमला किया, जिसके जवाब में उन्होंने सीमा पार कार्रवाई की।
  • सीमा बंद होने से दोनों देशों के बीच व्यापार और यातायात पूरी तरह ठप पड़ गया, जिससे हज़ारों लोग प्रभावित हुए।

दोनों पक्षों को कितना नुक़सान हुआ?

पक्षअनुमानित मौतें / घायलआर्थिक व अन्य नुकसान
पाकिस्तानलगभग 58 सैनिकों की मौत और कई घायल बताए गए।सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी तबाही, व्यापार बंदी से करोड़ों डॉलर का नुकसान।
अफगानिस्तानलगभग 200 लड़ाकों की मौत की खबरें सामने आईं।नागरिक जीवन प्रभावित, सीमावर्ती गाँवों में बड़े पैमाने पर पलायन।

निष्कर्ष

यह संघर्ष केवल सैन्य टकराव नहीं, बल्कि गहरी राजनीतिक असहमति, आतंकवाद की जटिलता, सीमाओं की पहचान और पारस्परिक भरोसे की कमी का परिणाम है। दोनों देश भारी नुकसान झेल चुके हैं — मानवीय, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर। क्षेत्र में स्थिरता के लिए संवाद, सीमा नियंत्रण और आतंकवाद-विरोधी सहयोग की दिशा में ठोस कदम उठाना अब अनिवार्य है।

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